भारत में अंगूर की खेती के बारे में सब कुछ

अंगूर एक लोकप्रिय फल है, जिसका उपयोग ताजा खाने के साथ-साथ किशमिश, वाइन और जूस बनाने में भी किया जाता है. भारत दुनिया के शीर्ष 10 अंगूर उत्पादक देशों में से एक है, और महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु अंगूर उत्पादन के प्रमुख केंद्र हैं.अंगूर की खेती

यदि आप अंगूर की खेती शुरू करने में रुचि रखते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए एक संपूर्ण मार्गदर्शक है. आइए भारत में अंगूर की खेती के विभिन्न पहलुओं को गहराई से देखें:

    1. जलवायु और मिट्टी:

    अंगूर गर्म और शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगते हैं. उन्हें अच्छी तरह से निकलने वाली, रेतीली-दोमट या बलुई-दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसका पीएच 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.

    1. किस्मों का चयन:

    भारत में विभिन्न प्रकार के अंगूर उगाए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:

    • थॉम्पसन सीडलेस (Thompson Seedless): यह एक लोकप्रिय बेदाना किस्म है.
    • फ्लेम सीडलेस (Flame Seedless): यह लाल, बीज रहित किस्म है.
    • अनाब-ए-शाही (Anab-e-Shahi): यह उत्तर भारत में पाए जाने वाली एक मीठी किस्म है.
    • ब्लैक कैपिटल (Black Captain): यह एक काले रंग का अंगूर है, जिसका उपयोग वाइन बनाने में किया जाता है.

    अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त किस्म का चयन करना महत्वपूर्ण है. स्थानीय कृषि विभाग या अनुसंधान संस्थानों से सलाह लें.

    1. खेत की तैयारी:

    खेत की तैयारी रोपण से पहले एक महत्वपूर्ण कदम है. मिट्टी की गहरी जुताई करें और खरपतवार निकाल दें. इसके बाद, मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें.

    1. रोपण:

    से खेती आमतौर पर कलमों के माध्यम से की जाती है. रोपण का आदर्श समय अक्टूबर से जनवरी के बीच होता है. कतारों के बीच और पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें.

    1. मचान और समर्थन प्रणाली:

     बेलें लताएँ होती हैं, जिन्हें बढ़ने के लिए सहारे की आवश्यकता होती है. इसलिए, खेत में मचान या तार की जालियां लगाना जरूरी है.

    1. सिंचाई और खाद प्रबंधन:

     पौधों को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर गर्मियों में. हालांकि, जलभराव से बचना चाहिए. संतुलित पोषण के लिए उर्वरकों का प्रयोग करें, जिसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम (एनपीके) शामिल हों. जैविक खाद का उपयोग मिट्टी की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है.

    1. निराई और खरपतवार नियंत्रण:

    नियमित रूप से खेत से खरपतवार निकालें या मल्चिंग का उपयोग करें. खरपतवार पोषक तत्वों और पानी के लिए अंगूर की बेलों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं.

    1. रोग और कीट नियंत्रण:

    अंगूर कई तरह के रोगों और कीटों से प्रभावित हो सकते हैं. नियमित रूप से खेतों की निगरानी करें और समय पर उपाय करें. रासायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से बचें और जैविक नियंत्रण विधियों को प्राथमिकता दें.

    1. कटाई और भंडारण:

    अंगूरों की कटाई तब करें जब वे पूरी तरह से पक चुके हों और उनका मनचाहा रंग आ गया हो.

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