आम की खेती - राजाओं का फल, किसानों की आय का जरिया (Mango Farming - The King of Fruits, A Source of Income for Farmers)

आम, जिसे “फलों का राजा” कहा जाता है, ना सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसकी खेती भारत में सदियों से की जा रही है और यह लाखों किसानों की आजीविका का सहारा है। अगर आप भी आम की लाभदायक खेती करना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए ही है।आम की खेती  आइए, आम के पेड़ लगाने से लेकर उसकी देखभाल और फलों के तोड़ने तक, सभी जरूरी जानकारी को विस्तार से जानें।

आर्थिक महत्व (Economic Importance)

आम की खेती एक दीर्घकालिक निवेश है। आम के पेड़ एक बार लगाने के बाद कई सालों तक फल देते हैं। इसकी मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी है, जिससे किसानों को अच्छी कमाई होती है। आम के विभिन्न प्रकार, जैसे आम्रपाली, लंगड़ा, दशहरी आदि बाजार में अच्छे दाम पर बिकते हैं।

वायुवायु संबंधी आवश्यकताएँ (Climatic Requirements)

आम की खेती उपोष्ण और उष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। आम के पौधों को अच्छी धूप की जरूरत होती है। 23 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान आम के विकास के लिए उपयुक्त माना जाता है। अधिक ठंड या बहुत ज्यादा बारिश आम के पेड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है।

मृदा संबंधी आवश्यकताएँ (Soil Requirements)

आम की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन जल निकास अच्छा होना चाहिए। बलुई दोमट से लेकर मध्यम दोमट मिट्टी आम की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। यह थोड़ी क्षारीय मिट्टी को भी सहन कर लेती है।

भूमि तैयार करना (Land Preparation)

आम के पेड़ लगाने से पहले खेत की कम से कम 2-3 बार गहरी जुताई करें। पहली जुताई करते समय खेत में मौजूद खरपतवार और अवशेषों को मिट्टी में दबा दें। इसके बाद 2-3 हफ्ते बाद दोबारा जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। पेड़ लगाने से पहले खेत को समतल कर गड्ढे खोद लें। गड्ढों का आकार 1 x 1 x 1 मीटर रख सकते हैं।

बुवाई का समय (Time of Sowing)

आम की खेती आम तौर पर बीजों से नहीं बल्कि कलम लगाकर की जाती है। कलम लगाने का सबसे अच्छा समय फरवरी से मार्च का महीना माना जाता है। इस दौरान मौसम आम के पौधों के जल्दी स्थापित होने में मदद करता है।

बुवाई की विधि (Method of Sowing)

जैसा कि बताया गया है, आम की खेती कलम लगाकर की जाती है। स्वस्थ पौधे से  मोटाई की कलम का चयन करें। कलम लगाने की कई तकनीकें हैं, जिनमें से आप कृषि विज्ञान केंद्र या किसी अनुभवी किसान से सलाह लेकर उपयुक्त विधि का चुनाव कर सकते हैं।

पौधों के बीच दूरी (Spacing)

आम के पेड़ों के बीच पर्याप्त दूरी देना जरूरी है, ताकि पेड़ों को हवा और धूप अच्छी तरह से मिल सके। आम की किस्म के आधार पर पेड़ों के बीच की दूरी तय की जाती है। आम्रपाली जैसे घने

पौधों के बीच दूरी (Spacing)

आम्रपाली जैसे घने पत्तों वाली किस्मों के लिए 7-8 मीटर की दूरी, जबकि दशहरी जैसी कम घनी पत्तों वाली किस्मों के लिए 8-10 मीटर की दूरी उपयुक्त मानी जाती है। कतारों के बीच भी 8-10 मीटर का अंतर रखा जा सकता है।

बीजों की दर (Seed Rate)

चूंकि आम की खेती कलम लगाकर की जाती है, इसलिए बीजों की दर की बात नहीं होती है। स्वस्थ और रोगमुक्त कलमों का चयन करना महत्वपूर्ण है।

बीज उपचार (Seed Treatment)

आम की खेती में बीजों का उपयोग नहीं होता है, इसलिए बीज उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, कलम लगाने से पहले कटाई वाले सिरे को कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या बोर्डो मिश्रण जैसे फफूंदनाशक घोल में कुछ देर के लिए डुबोया जा सकता है। इससे फफूंद जनित रोगों से बचाव होता है।

खाद और उर्वरक (Manures and Fertilizers)

आम के पेड़ लगाते समय गड्ढों में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर खाद और मिट्टी का मिश्रण भरें। इसके अलावा, नीम की खली या खाद भी डाली जा सकती है। पेड़ों को साल में दो बार, मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर में, खाद और उर्वरक देने की आवश्यकता होती है। आप कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर उपयुक्त मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का प्रयोग कर सकते हैं।

सिंचाई (Irrigation)

आम के छोटे पौधों को नियमित रूप से सिंचाई की जरूरत होती है। पेड़ बड़े होने पर सिंचाई की मात्रा कम की जा सकती है। आम के पेड़ सूखा सहनशील होते हैं, लेकिन फल बनने के दौरान हल्की सिंचाई फायदेमंद होती है। जलभराव से बचना चाहिए।

सिंचाई कार्यक्रम (Irrigation Schedule)

गर्मियों में लगभग 15-20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। मानसून के मौसम में बारिश के अनुसार सिंचाई की मात्रा कम कर दें। फलों के लगने और विकास के समय हल्की सिंचाई करते रहें।

निराकरण और खरपतवार नियंत्रण (Interculturing and Weeding)

बरसात के बाद खेत में खरपतवार उग आते हैं। इन खरपतवारों को समय-समय पर निकालते रहें। इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और पौधों को पोषक तत्व मिलने में मदद मिलती है। पेड़ों के चारों ओर मिट्टी को थोड़ा ढीला कर दें ताकि हवा का संचार अच्छा रहे।

कटाई (Harvesting)

आम की कटाई का सही समय आम की किस्म पर निर्भर करता है। आम को तब तोड़ें जब वह पूरी तरह से पक चुका हो, लेकिन कच्चा न हो। आम के पकने के संकेतों में फल का हल्का नरम होना, रंग का बदलना और मीठी खुशबू आना शामिल हैं।आम की खेती  कटाई के लिए सूखे मौसम का चयन करें। सावधानीपूर्वक से फल को तोड़ें ताकि डाली को नुकसान न पहुंचे।

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