गन्ने की खेती में बुवाई के समय पोषक तत्व प्रबंधन और सामान्य कृषि प्रथाएं

आज हम गन्ने की खेती में बुवाई के समय पोषक तत्व प्रबंधन और सामान्य कृषि प्रथाओं पर चर्चा करेंगे। साथ ही, हम गन्ने की अधिक उपज प्राप्त करने के लिए महाधन के गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों के उपयोग पर भी चर्चा करेंगे।

  1. गन्ने की फसल में सामान्य कृषि प्रथाएं:

    • उपयुक्त जलवायु: गन्ना गर्म और नम जलवायु में अच्छी तरह से उगता है। 26-30 डिग्री सेल्सियस तापमान गन्ने के जमाव के लिए उपयुक्त होता है।
    • मिट्टी का प्रकार: दोमट मिट्टी से लेकर चिकनी दोमट और काली भारी मिट्टी, जिसमें पानी का अच्छा निकास होता है, गन्ने के लिए सर्वोत्तम होती है।
    • खेत की तैयारी:

      गन्ना बहुवर्षीय फसल है, इसलिए खेत की गहरी जुताई के बाद 2 बार कल्टीवेटर और आवश्यकतानुसार रोटावेटर और पाटा चलाकर खेत तैयार करें।
    • बोआई का समय: उत्तर भारत में मुख्य रूप से फरवरी-मार्च में गन्ने की बसंत कालीन बुवाई की जाती है। गन्ने की अधिक पैदावार के लिए अक्टूबर-नवंबर महीना सर्वोत्तम होता है।
    • गन्ना बीज का चुनाव: कम से कम 9 से 10 महीने की उम्र का गन्ना ही बीज के लिए उपयोग करें।
    • बीज दर और अंतरण: सामान्यत: गन्ने की बुवाई में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 90 सेमी से लेकर 60 सेमी तक रखी जाती है।
    • बुवाई की विधि और बीजोपचार:

      • समतल विधि: 90 सेमी की दूरी पर 7-10 सेंटीमीटर गहरे देशी हल से कूँड़ बनाएं और कूँड़ों में गन्ने के छोटे-छोटे टुकड़े (2-3 आंखें) बोएं।
      • नाली विधि: 90 सेमी की दूरी पर 45 सेमी चौड़ी, 15-20 सेंटीमीटर गहरी नाली बनाएं और नाली में बीज को सिरे से सिरा मिलाकर बोएं।
    • सिंचाई:

      नमी की कमी की दशा में बुवाई के 20-30 दिन बाद एक हल्की सिंचाई करने से अपेक्षाकृत अच्छा जमाव होता है।
    • खरपतवार नियंत्रण:
      • सिमाजीन (50 डब्लू) 1 किग्रा/एकड़ की दर से जमाव पूर्व और जमाव के बाद उपयोग करें।
      • आईसेप्लेनोटाक्स मोथा एक बीजपत्रीय खरपतवारों के प्रभावी नियंत्रण के लिए 1 किग्रा/हेक्टेयर की दर से जमाव पूर्व और बाद में छिड़कें।
      • एट्राजीन 1 किग्रा/एकड़ जमाव पूर्व और 2,4-डी 800 ग्राम/एकड़ जमाव बाद में छिड़कने से अधिकांश एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री खरपतवार नष्ट हो जाते हैं।
    • अंतः फसल:

      बसंत कालीन गन्ने में दो पंक्तियों के बीच मूंग, उड़द, लोबिया, भिंडी, लोकी, तोरई, खीरा, ककड़ी आदि की फसल ली जा सकती है।
    • मिट्टी चढ़ना: गन्ने के थानों की जड़ पर मिट्टी चढ़ने से जड़ों का सघन विकास होता है।
    • बांधाई: जब गन्ने 2.5 मीटर से अधिक लंबे हो जाते हैं तो वे वर्षाकाल में गिर जाते हैं, जिससे उनके रसोगुण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
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