तरबूज की खेती: गर्मी में मुनाफे की फसल (Watermelon Farming: Profitable Summer Crop)

गर्मी का मौसम आते ही तरबूज की मांग बढ़ जाती है। यह रसीला और मीठा फल न सिर्फ प्यास बुझाता है, बल्कि विटामिन सी और अन्य पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है। तरबूज की खेती भारतीय किसानों के लिए गर्मी के मौसम में अच्छी कमाई का जरिया बन सकती है।तरबूज की खेती: गर्मी में मुनाफे की फसल (Watermelon Farming: Profitable Summer Crop) 
आइए, तरबूज की सफल खेती के लिए जरूरी जानकारी को विस्तार से जानें।

आर्थिक महत्व (Economic Importance)

तरबूज की खेती कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। इसकी मांग गर्मी के दिनों में काफी बढ़ जाती है, जिससे किसानों को अच्छा बाजार भाव मिलता है। तरबूज का उपयोग सीधे फल के रूप में तो किया ही जाता है, लेकिन इससे जूस, शरबत, स्क्वैश आदि भी बनाए जाते हैं।

वायुवायु संबंधी आवश्यकताएँ (Climatic Requirements)

तरबूज गर्म जलवायु वाली फसल है। इसके अच्छे विकास के लिए 20 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। लंबे समय तक बादल छाए रहने या अधिक ठंड तरबूज की फसल को नुकसान पहुंचा सकती है।

मृदा संबंधी आवश्यकताएँ (Soil Requirements)

तरबूज की खेती के लिए जल निकास वाली बलुई दोमट से लेकर मध्यम दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।

भूमि तैयार करना (Land Preparation)

खेत की अच्छी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। खेत को समतल करने के लिए 2 से 3 बार जुताई के बाद पाटा लगाएं। यदि पिछली फसल धान की रही हो तो खेत की गहरी जुताई करें।

बुवाई का समय (Time of Sowing)

उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में तरबूज की बुवाई फरवरी के अंत से मार्च के मध्य तक की जाती है। दक्षिण भारत में जुलाई-अगस्त में भी इसकी बुवाई की जा सकती है।

बुवाई की विधि (Method of Sowing)

तरबूज की बुवाई सीधी कतारों में की जाती है। कतारों के बीच 2 से 3 मीटर और पौधों के बीच 1 से 1.5 मीटर का अंतर रखें। गड्डों में 2 से 3 बीजों को बोएं और बाद में कमजोर पौधे को निकालकर एक स्वस्थ पौधा रखें।

बीजों की दर (Seed Rate)

एक हेक्टेयर खेत में लगभग 4 से 5 किलोग्राम तरबूज के बीज की आवश्यकता होती है। यह बीज की किस्म पर निर्भर करता है।

बीज उपचार (Seed Treatment)

बुवाई से पहले बीजों को उपयुक्त फफूंदनाशक से उपचारित करें। इससे बीजों को मिट्टी जनित रोगों से बचाया जा सकता है।

खाद और उर्वरक (Manures and Fertilizers)

बुवाई से पहले 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। बुवाई के समय 100 किलोग्राम यूरिया, 60 किलोग्राम डीएपी और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। फसल की सिंचाई के बाद यूरिया की शीर्ष ड्रेसिंग करें।

सिंचाई (Irrigation)

तरबूज की फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन फल बनने के समय हल्की सिंचाई करते रहें। जलभराव से बचना चाहिए। ज्यादा सिंचाई से फल फटने का खतरा रहता है।

सिंचाई कार्यक्रम (Irrigation Schedule)

बुवाई के बाद पहली सिंचाई करें। इसके बाद, 10 से 15 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई करते रहें तरबूज की खेती: गर्मी में मुनाफे की फसल (Watermelon Farming: Profitable Summer Crop)

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