कपास की खेती: एक लाभदायक फसल
कपास भारत की एक प्रमुख नकदी फसल है, जिसका उपयोग कपड़ा उद्योग में किया जाता है. इसकी खेती देश के कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर की जाती है. कपास की खेती से अच्छी आमदनी कमाई जा सकती है, लेकिन इसके लिए सही जानकारी और उचित प्रबंधन जरूरी है. आइए, कपास की खेती करने के तरीकों को विस्तार से जानें:
जलवायु और मिट्टी:
- कपास गर्म जलवायु वाली फसल है. आदर्श तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है.
- कपास की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है.
किस्म का चयन:
- अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त कपास की किस्म का चयन करें. रोग-प्रतिरोधी किस्में चुनना बेहतर होता है. कुछ लोकप्रिय किस्मों में शामिल हैं:
- एच-1300
- आरकेवीटी 1018
- केजीएफ-7
- डीसीएच-32
खेत की तैयारी:
- बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें. मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए 2-3 बार हल्की जुताई करें.
- खेत से खरपतवार और पत्थरों को हटा दें.
बीज की मात्रा और उपचार:
- बीज की मात्रा मिट्टी की स्थिति और किस्म पर निर्भर करती है. आमतौर पर, 8 से 10 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होते हैं.
- बुवाई से पहले बीजों को उपचारित करना जरूरी है. इसके लिए, कार्बनडाजिम या थीरम जैसे कवकनाशी दवाओं का उपयोग करें.
बुवाई का समय और तरीका:
- कपास की बुवाई का आदर्श समय मार्च से मई के बीच होता है.
- बीजों को कतारों में बोएं. कतारों के बीच की दूरी 90 से 100 सेंटीमीटर और पौधों के बीच की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर रखें.
सिंचाई:
- कपास को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है. खासकर शुरुआती दौर में और फूल आने के समय सिंचाई जरूरी है.
- सिंचाई जल प्रबंधन पर ध्यान दें और जल बचाने वाली सिंचाई विधियों, जैसे ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करें.
खरपतवार नियंत्रण:
- खरपतवार फसल के पोषक तत्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं. इसलिए, खेतों से नियमित रूप से खरपतवार निकालें या खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग करें.
खाद और उर्वरक प्रबंधन:
- मिट्टी परीक्षण के आधार पर खाद और उर्वरकों का प्रयोग करें.
- सामान्यतः, कपास को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम (एनपीके) की आवश्यकता होती है.
- जैविक खादों का उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है.
रोग और कीट नियंत्रण:
- कपास की फसल कई तरह के रोगों और कीटों से प्रभावित हो सकती है. खेतों की नियमित निगरानी करें और समय पर उपाय करें.
- रासायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से बचें और जैविक नियंत्रण विधियों को प्राथमिकता दें.
तुड़ाई:
- कपास की तुड़ाई तब करें जब फली पूरी तरह से खुल जाए और रोंए सफेद हो जाएं.
- तुड़ाई हाथ से या मशीन से की जा सकती है