गाजर की खेती: मुनाफे के साथ सेहत का खजाना
गाजर, एक कुरकुरी और स्वादिष्ट सब्जी होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भरपूर होती है। यह विटामिन ए का मुख्य स्रोत है, जो आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। भारतीय किसानों के लिए गाजर की खेती ना सिर्फ सेहत का खजाना उगाने का जरिया है, बल्कि इससे अच्छी आमदनी भी हो सकती है। आइए, गाजर की खेती के बारे में विस्तार से जानें।
आर्थिक महत्व (Economic Importance)
भारत में गाजर की मांग लगातार बढ़ रही है। इसकी खेती कम समय में अधिक मुनाफा देती है। बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है और परिवहन के लिए भी यह ज्यादा खराब नहीं होती।
वायुवायु संबंधी आवश्यकताएँ (Climatic Requirements)
गाजर की सफल खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। अधिक गर्मी पड़ने पर गाजर का रंग फीका पड़ सकता है।
मृदा संबंधी आवश्यकताएँ (Soil Requirements)
गाजर की खेती के लिए बलुई-दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए। खेत में मिट्टी परीक्षण कराकर जरूरत के अनुसार ही पीएच मान को 6 से 7 के बीच में लाने का प्रयास करें।
भूमि तैयार करना (Land Preparation)
गाजर की बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करें। मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए 2 से 3 बार जुताई करें और हर बार जुताई के बाद पाटा लगाएं। खेत में गोबर की खाद अच्छी तरह से मिला दें।
बुवाई का समय (Time of Sowing)
देशी गाजर की बुवाई अगस्त से सितम्बर महीने के दौरान की जा सकती है। वहीं, नारंगी रंग की उन्नत किस्मों को अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच में बोना चाहिए।
बुवाई की विधि (Method of Sowing)
कतारों में बीजों की बुवाई करें। कतारों के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधों के बीच की दूरी 8 से 10 सेंटीमीटर रखें। बीजों को 1 से 1.5 सेंटीमीटर गहराई में बोएं।
बीजों की दर (Seed Rate)
एक हेक्टेयर खेत में लगभग 4 से 6 किलोग्राम गाजर के बीज की आवश्यकता होती है।
बीज उपचार (Seed Treatment)
बुवाई से पहले 24 घंटे के लिए बीजों को पानी में भिगोकर रखने से अंकुरण में तेजी आती है। इसके बाद, बीजों को उपयुक्त फफूंदनाशक से उपचारित करके बुवाई करें।
खाद और उर्वरक (Manures and Fertilizers
खेत की तैयारी के समय गोबर की खाद डालें। इसके अलावा, बुवाई के समय प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम यूरिया, 80 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 40 किलोग्राम म्यूरिएट ऑफ पोटाश डालें। खड़ी फसल में दो बार उर्वरकों की शीर्ष ड्रेसिंग करें।
सिंचाई (Irrigation)
गाजर की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई करते रहें। जलभराव से बचना चाहिए।
सिंचाई कार्यक्रम (Irrigation Schedule)
बुवाई के तुरंत बाद और फिर बीजों के अंकुरण के बाद सिंचाई करें। इसके बाद, 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें।