हाइड्रोपोनिक तकनीक से स्ट्रॉबेरी की खेती

स्ट्रॉबेरी स्वादिष्ट और सेहतमंद फल है, लेकिन इसकी खेती पारंपरिक तरीके से थोड़ी जटिल मानी जाती है. मिट्टी जनित रोगों का खतरा और मौसम पर निर्भरता जैसी चुनौतियां होती हैं. हाइड्रोपोनिक तकनीक से स्ट्रॉबेरी की खेती लेकिन अब भारतीय किसानों के लिए खुशखबरी है! हाइड्रोपोनिक तकनीक से आप अपने घर पर या खेत में, कम जगह और संसाधनों में भी स्वादिष्ट स्ट्रॉबेरी उगा सकते हैं.

  1. जरूरी चीजें (Essential Requirements):

  • हाइड्रोपोनिक सिस्टम: शुरुआत के लिए आप NFT (Nutrient Film Technique) सिस्टम चुन सकते हैं. इसमें पोषक तत्वों वाला घोल पतली फिल्म की तरह बहता है, जिससे पौधों की जड़ों को सीधे पोषण मिलता है.
  • कोकोपीट: यह एक जैविक माध्यम है जिसका उपयोग पौधों को सहारा देने के लिए किया जाता है.
  • पोषक तत्वों का घोल: स्ट्रॉबेरी के लिए विशेष रूप से तैयार हाइड्रोपोनिक पोषक तत्वों का घोल बाजार में उपलब्ध है.
  • pH मीटर और EC मीटर: ये उपकरण पोषक तत्वों के घोल के pH (अम्लता) और EC (विद्युत चालकता) को मापने में मदद करते हैं.
  • ग्रो लाइट्स (विकल्प): यदि आप बंद वातावरण में खेती कर रहे हैं, तो कृत्रिम रोशनी के लिए ग्रो लाइट्स की जरूरत पड़ सकती है.
  1. रोपण से पहले (Before Planting):

  • अपने हाइड्रोपोनिक सिस्टम को अच्छी तरह से साफ करें और कीटाणुरोध करें.
  • कोकोपीट को गुनगुने पानी में भिगो दें और फिर अच्छी तरह से निचोड़ लें.
  • स्वस्थ और रोगमुक्त स्ट्रॉबेरी के पौधे या बीजों का चयन करें.
  1. रोपण प्रक्रिया (Planting Process):

  • कोकोपीट को नेटपॉट्स (जालीदार गमलों) में भरें.
  • पौधों को सावधानीपूर्वक नेटपॉट्स में लगाएं. बीजों का उपयोग करने पर, उन्हें कोकोपीट की सतह पर छिड़कें और हल्का ढक दें.
  • नेटपॉट्स को हाइड्रोपोनिक सिस्टम में रखें.
  1. देखभाल (Maintenance):

  • पोषक तत्वों के घोल के pH और EC को नियमित रूप से जांचें और जरूरत के अनुसार समायोजित करें.
  • पौधों को नियमित रूप से धूप या ग्रो लाइट्स का पर्याप्त प्रकाश दें.
  • तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित करें. आदर्श तापमान 18-25 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 60-70% के बीच होना चाहिए.
  • पौधों का निरीक्षण करें और जरूरत पड़ने पर कीटनाशक या फफूंदनाशक का प्रयोग करें (हाइड्रोपोनिक्स के लिए उपयुक्त उत्पादों का ही इस्तेमाल करें).
  1. कटाई (Harvesting):

  • जब स्ट्रॉबेरी पूरी तरह से पक जाएं और उनका रंग गहरा लाल हो जाए, तो उन्हें सावधानीपूर्वक तोड़ें.
  • ताजा स्ट्रॉबेरी का आनंद लें या फिर बाजार में बेचें.

भारतीय जलवायु के लिए टिप्स (Tips for Indian Climate):

  • गर्मियों में तापमान नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें. कूलिंग पैड या एयर कंडीशनर का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है.
  • वर्षा ऋतु में फफूंद जनित रोगों का खतरा ज्यादा होता है. वेंटिलेशन पर ध्यान दें और जरूरी हो तो जैविक फफूंदनाशक का प्रयोग करें.

हाइड्रोपोनिक तकनीक से स्ट्रॉबेरी की खेती थोड़ी जटिल जरूर लग सकती है

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